Monday, June 10, 2019

पुराने मेडिकल कॉलेजों को पहले करें सुव्यवस्थित


देश में आये दिन नये-नये मेडिकल कॉलेज शुरू किये जा रहे हैं और इस संबंधी घोषणायें भी हो रही हैं. हालांकि इसे एक सकारात्मक कदम ही कहा जा सकता है. मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल खोले जाने का लक्ष्य तो यही हो सकता है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को स्वास्थ्य सुविधायें मुहैया करायी जायें. इसके साथ ही एक सवाल स्वतः उठता है कि पहले से चल रहे मेडिकल कॉलेज एवं अस्पतालों में सारी ज़रूरी सुविधायें उपलब्ध हैं. हक़ीक़त में तो ऐसा नहीं दिख रहा है. बिहार राज्य के ही तमाम मेडिकल कॉलेजों पर गौर किया जाये:
-क्या सभी कॉलेजों में पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हैं?
-क्या सभी कॉलेजों में स्वास्थ्य संबंधी सभी विभाग सक्रिय हैं
?
-क्या वहां नियमित कक्षायें ली जा रही हैं
?
तमाम शहरों के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में अराजकता का माहौल है. मरीजों को समुचित इलाज तक नहीं मिल पाता. डॉक्टर्स भी बस अस्पताल में राउंड लगाने भर को ही ड्यूटी मानते हैं. राउंड लगाया और चंद मरीज देखे-बस हो गयी ड्यूटी. इस सोच से मरीजों का क्या भला हो सकता है, शायद बताने की ज़रूरत नहीं.
वास्तविकता की कसौटी पर तो सभी प्रश्नों पर सवाल रह ही जाते हैं. नये मेडिकल कॉलेज भी आखिरकार सरकार के लिए सिरदर्द के सिवा और कुछ नहीं साबित होंगे. लिहाजा, नये कॉलेज खोलने से क्या सभी समस्यायें सुलझ जायेंगी? शायद नहीं. तो मौजूदा मेडिकल कॉलेजों को ही पहले सुव्यवस्थित क्यों नहीं किया जाये. इसे दुरुस्त करने के बाद ही कोई नया प्रोजेक्ट पर विचार किया जाये.

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