जब कोई विद्यार्थी एक कक्षा पास कर अगली कक्षा में प्रवेश करता है तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है. लाजिमी भी हैं. आज के बुजुर्गों को भी उनके जीवन के उस पड़ाव खुशी का अहसास हुआ होगा. अब तो सरकारी स्कूलों में आलम यह है कि कक्षा की पढ़ाई शुरू होने के चार-पांच माह तक भी कोई एक-दो किताबें विद्यार्थियों को नहीं मिलती हैं. इस सूरत में वह कैसे पढ़ेगा, इसकी भी परवाह स्कूल और शिक्षकों को नहीं ही होती है. पूछने पर टका-सा जवाब भी तैयार रहता है कि ‘आने पर मिल जायेगी’ और ‘हम क्या कर सकते हैं.’ सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति (वजीफा) भी दी जाती है.
जाहिर हैं हर हाल में नुकसान तो विद्यार्थी का ही होता है. हालांकि राज्य सरकार ने छात्राओं को साइकिलें भी दी है. अब सवाल उठता है कि किताबें इतने दिनों तक क्यों नहीं मिलतीं. किताबें मिलती तो हैं मगर स्कूल प्रबंधन की कारस्तानी सिरे नहीं चढ़ पाती. यही कह सकते हैं. तभी तो इतने लंबे समय तक किताबें नहीं मिल पातीं. आये दिन खबरें मिलती हैं कि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को कई महीनों से वजीफे की राशि नहीं मिली है.
हालांकि सरकारी खजाने से तो राशि निर्गत तो हो जाती है मगर विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच पाती. इस बाबत स्कूल प्रधान को समय-समय पर नोटिस भी जारी किये गये हैं. अब सीधा-सीधा सवाल उठता है कि निकास की गयी राशि आखिर जाती कहां है जो जरूरतमंदों को नहीं मिल पाती.
अगर यही अनियमितता जारी रही तब तो विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलने से रहा. लिहाजा, स्कूलों की गतिविधियों के लिए विशेष रूप से किसी सरकारी मुलाजिम को प्रतिनियुक्त किया जाये. जो समय-समय पर स्कूलों के बारे में रिपोर्ट करता रहे.
जाहिर हैं हर हाल में नुकसान तो विद्यार्थी का ही होता है. हालांकि राज्य सरकार ने छात्राओं को साइकिलें भी दी है. अब सवाल उठता है कि किताबें इतने दिनों तक क्यों नहीं मिलतीं. किताबें मिलती तो हैं मगर स्कूल प्रबंधन की कारस्तानी सिरे नहीं चढ़ पाती. यही कह सकते हैं. तभी तो इतने लंबे समय तक किताबें नहीं मिल पातीं. आये दिन खबरें मिलती हैं कि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों को कई महीनों से वजीफे की राशि नहीं मिली है.
हालांकि सरकारी खजाने से तो राशि निर्गत तो हो जाती है मगर विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच पाती. इस बाबत स्कूल प्रधान को समय-समय पर नोटिस भी जारी किये गये हैं. अब सीधा-सीधा सवाल उठता है कि निकास की गयी राशि आखिर जाती कहां है जो जरूरतमंदों को नहीं मिल पाती.
अगर यही अनियमितता जारी रही तब तो विद्यार्थियों को इसका लाभ मिलने से रहा. लिहाजा, स्कूलों की गतिविधियों के लिए विशेष रूप से किसी सरकारी मुलाजिम को प्रतिनियुक्त किया जाये. जो समय-समय पर स्कूलों के बारे में रिपोर्ट करता रहे.
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