पिछले दिनों
मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा स्कूल के विद्यार्थियों के संबंध में निर्देश जारी
किये थे. उनके स्कूल बैग के वज़न से संबंधित थे. तकरीबन छह-सात माह पहले ये निर्देश
किये गये थे. इतने दिनों के अंतराल में इस पर एक सरसरी निगाह डालें कि इन
निर्देशों पर कितना अमल हुआ या नहीं हुआ, तो कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
मंत्रालय
द्वारा जारी निर्देश में कहा गया था कि पहली व दूसरी कक्षा के विद्यार्थियों के स्कूल
बैग का वज़न 1.5 किलो से अधिक नहीं होना चाहिए. वहीं तीसरी से पांचवीं जमात के बैग
का वज़न दो से तीन किलो, छठी व सातवीं के लिए 4 किलो, आठवीं व नौवीं कक्षा के लिए
4.5 किलो और दसवीं कक्षा के लिए बैग का वज़न 5 किलो से ज्यादा नहीं होना
प्रस्तावित था. जिस दिन जिन विषयों की पढ़ाई होनी है उससे संबंधित ही
किताबें-कॉपियां लाने को कहा गया था.
आज की तारीख
में हक़ीक़त कुछ और ही बयान करता है. पहली से दसवीं कक्षा तक के स्कूल बैग का
मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित सीमा से कहीं अधिक है. पांचवीं-छठी कक्षा के
विद्यार्थियों के स्कूल बैग का वज़न करीब छह किलो से कम तो नहीं होंगे. सूरतेहाल
यह है कि आज भी अधिकांश शहरों के स्कूलों में स्थिति वही है. विद्यार्थी बैग के
बोझ तले दबे जा रहे हैं.
उसपर
स्कूल यानी टीचर्स की तरफ से विद्यार्थियों को हर विषय के लिए हैंड राइटिंग की
एक-एक कॉपी रखने का फरमान जारी किया गया है. माना कि पांचवीं तक के विद्यार्थियों
के लिए हैंड राइटिंग ज़रूरी है. अब तो वह भी नहीं होना चाहिए क्योंकि पहली कक्षा
में आने से पहले विद्यार्थियों को नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी की कक्षाएं पास करनी
होती है. हद तो तब है कि दसवीं तक के विद्यार्थियों को भी हैंड राइटिंग के लिए
कॉपी बनाने के लिए कहा गया है. क्या इस निर्देश को व्यावहारिक कहा जा सकता है?
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