सेन्ट्ल बोर्ड
ऑफ सेकेन्डरी एजुकेशन(सीबीएसई) दसवीं की परीक्षा के परिणाम आने की संभावना की खबर
के बाद ही दूसरी खबर से उसे “फेक न्यूज़” कहकर सिरे से खारिज कर दिया.वाकई कमाल है. दोनों खबरें
सीबीएसई प्रवक्ता रमा शर्मा के हवाले से बतायी गयीं. यह देख-पढ़कर बचपन के दिन आ
गये. जब दोस्तों-हमउम्रों में जब कोई नयी जानकारी साझा करते थे तो उसे मानने के
लिए कोई तैयार नहीं होता. एक लम्बी या कहें अन्तहीन बहस छिड़ जाती थी. फिर तो वह
बात माता-पिता या बड़ों की अदालत में पहुंच जाती थी. इनके अलावा भी ज़रिया होता था
जो बेपनाह भरोसा का हक़दार था, वह था-अखबार.जब किसी भी
तरह बात बनती न दिखती थी तो अख़बार को सामने कर देते थे. ब्रेकिंग न्यूज़ के इस
दौर में कभी-कभी तो ख़बरों का यह ज़रिया मखौल का सामान बन कर रह जाता है. लिहाज़ा
इस मज़बूत ज़रिये को और भी यकीनी बनाने की जानिब कोशिश करने की ज़रूरत है. भरोसे
की कसौटी पर कसकर ही खबरें परोसी जायें तभी इसकी प्रासंगिकता बनी रह सकती है, “अख़बार” और “अफ़वाह”में फर्क ही
क्या रह जायेगा. मीडिया जगत के सरपरस्तों को इस जानिब सोचना और समझना भी होगा.
No comments:
Post a Comment