Saturday, January 8, 2022

सईद ज़ाफरी : पर्दे पर चुकायी उधार


जन्मदिन-8 जनवरी

कहते हैं कि ख़ुद को प्यार करने वाला ही दूसरों को प्यार दे सकता है. इसे तय मानने पर कभी-कभी मन सोचने के लिए बाध्य कर देता है. कुछ ऐसे ही दौर से नामचीन अभिनेता सईद ज़ाफ़री को निजी ज़िन्दगी में ग़ुज़रना पड़ा था. चुनांचे, ज़्यादातर फिल्मों में उन्हें प्यार बांटते या समस्याओं को सुलझाते देखा गया है.
बहरहाल, अदाकारी की दुनिया में उनकी सानी नहीं थी. अपने अभिनय पर ऐसी सान चढ़ाते कि दर्शकों को 'पात्र' ही दिखता और 'वह' ग़ुम हो जाते. फिल्म "चश्म-ए-बद्दूर" के पनवाड़ी 'लल्लन मियां' को ही ले लें. बेरोजगारी का दर्द महसूस करने के साथ ही अपना बकाया वसूलने के लिए किसी की छीछालेदर करने से भी बाज नहीं आते.
वहीं, फिल्म "किसी से न कहना" के उस 'लालाजी' को भला भूल सकता है कोई? अपने एक मित्र के बेटे की प्रेम-संबंध की गुत्थी बखूबी सुलझायी. फिल्म "शतरंज के खिलाड़ी" के 'मीर साहब' की तो बात ही क्या!
बहरहाल, उनकी अदाकारी तो बेमिसाल थी ही. शायद अपनी आपबीती की ख़लिश उनकी जेहन के किसी कोने में मौजूद रही होगी जिसे पर्दे पर उतारकर जी हल्का कर लेते होंगे.

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