Welcome to Ujjwal Ghosh's weBlog
मीलों चले और चलना है अभी बारहा जीना ओ मरना है अभी मिलेंगे राह में कितने मोड़ तुम्हें रख हौसला चल न रुकेंगे अभी इसे मंज़िल नहीं समझ ऐ दिल फ़ासले तय करने हैं और अभी क़रीब आने से बेहतर है फ़ासला यही सीखा है हमने अभी-अभी
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