Sunday, August 29, 2021

दहला गयी 'टावर हाउस' के खोने की मनहूस खबर ने


 उनके सान्निध्य में काम करते हुए हमें तो यही महसूस हुआ कि हमेशा ऊर्जावान बने रहे. वाजपेयी जी के मातहत पूरे एक साल भी काम नहीं कर पाये जिसका हमें खेद रहेगा. वह इसलिए कि हमें दिल्ली जाना पड़ गया. वहां से पंजाब चले गये.
हालांकि दैनक हिन्दुस्तान, अमर उजाला, दैनिक जागरण जैसे बड़े बैनरों में भी हमने काम किया, लेकिन राष्ट्रीय नवीन मेल जैसी बात कहाँ. जिस तरह बड़े-बड़े मीडिया घराने नाम के साथ 'परिवार' शब्द जोड़ते हैं डालटनगंज में तो सचमुच एक परिवार ही था.
सच पूछें तो यह कहने किंचित झिझक नहीं है कि राष्ट्रीय नवीन मेल के साथ काम करने की संतुष्टि अन्यत्र कहीं नहीं मिली.
पंजाब में हमारे कुछ सहकर्मी डालटनगंज के रहने वाले थे. लिहाजा ख़तों का सिलसिला जारी रहा. फ़िर वह काला दिन भी आया और सम्माननीय वेद प्रकाश भैया की चिरनिद्रा में लीन की ख़बर देकर बरबस मायूस कर गया.
(समाप्त)

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