Friday, May 31, 2019

फीस संबंधी नियमों पर अमल भी या नहीं?


मोदी सरकार 2.0 की शिक्षा क्षेत्र में चन्द आवश्यक परिवर्तन करने की पहल निश्चय ही स्वागतयोग्य है. हालांकि इस संबंध में मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2017 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत गठित विशेषज्ञों की एक समिति ने निजी स्कूलों की फीस राशि को भी नियंत्रित और प्रासंगिक करने का सुझाव दिया है. वैसे तो यह एक दुरुस्त कदम है. निजी स्कूलों की मनमानी से अधिकांश लोग त्रस्त हैं. हर साल फीस बढ़ाने-कभी विकास शुल्क तो कभी समग्र विकास के नाम पर-से मध्यम वर्ग का जीना मुहाल हो गया है. साथ ही यह भी देखना होगा कि इस नियमन पर कैसे और कहां तक अमल हो रहा है. ऐसा देखा गया है कि सरकार ने तो नियम पारित कर दिये और उन पर स्कूलों द्वारा न के बराबर अमल किया जा रहा है. पिछले दिनों मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा विद्यार्थियों के स्कूल बैग के वज़न के लिए भी मानक तय किये थे. फिर भी अधिकांश स्कूलों के विद्यार्थियों को भारी बैग ढोते देखा जाता है.

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