याद आये बीते दिन तो रोये,
इक कसक सी उभरी तो रोये।
इक कसक सी उभरी तो रोये।
होश संभाला पाया अपनों को,
जब खो दिया उनको तो रोये।
जब खो दिया उनको तो रोये।
ज़िन्दगी में मिला एक दोस्त,
जब मुंह फेरा उसने तो रोये।
जब मुंह फेरा उसने तो रोये।
अपना जहां भी बसाया तो मगर,
अपनों को देखा जब दूर तो रोये।
अपनों को देखा जब दूर तो रोये।
हर जतन तो किया अपनी ओर से,
जब कोई काम न आया तो रोये।
जब कोई काम न आया तो रोये।
जीता रहा यूं ही ज़िन्दगी
मोहाज़िर,
नहीं छंटा जीवन का अंधेरा तो रोये।
नहीं छंटा जीवन का अंधेरा तो रोये।
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